आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kalol"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "kalol"
ग़ज़ल
अज्ञात
ग़ज़ल
तिरी राह कितनी तवील है मिरी ज़ीस्त कितनी क़लील है
मिरा वक़्त तेरा असीर है मुझे लम्हा लम्हा सँवार दे
इन्दिरा वर्मा
ग़ज़ल
दो कलों के बीच में इक आज हूँ उलझा हुआ
मेरी इस कम-फ़ुर्सती के कर्ब को समझो ज़रा
अब्दुल हफ़ीज़ नईमी
ग़ज़ल
क्या क्या कहूँ मैं तुम से जुदाई के मोड़ पर
शर्मिंदगी ज़ियादा है मोहलत क़लील है