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ग़ज़ल
अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर-दिल हों मुमकिन है
हम तो उस दिन राय देंगे जिस दिन धोका खाएँगे
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे
या'नी मेरे बा'द भी या'नी साँस लिए जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
शाम से पहले दर्द की दौलत मौजें हैं बे-नाम सी
दरियाओं से मिल के दरिया बल खाएँगे शाम को
रईस फ़रोग़
ग़ज़ल
गर यही है आदत-ए-तकरार हँसते बोलते
मुँह की इक दिन खाएँगे अग़्यार हँसते बोलते
मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
ग़ज़ल
केक बिस्कुट खाएँगे उल्लू-के-पट्ठे रात दिन
और शरीफ़ों के लिए आटा गिराँ हो जाएगा