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ग़ज़ल
सुंदर कोमल सपनों की बारात गुज़र गई जानाँ
धूप आँखों तक आ पहुँची है रात गुज़र गई जानाँ
परवीन शाकिर
ग़ज़ल
ख़्वाब देखने वाली आँखें पत्थर होंगी तब सोचेंगे
सुंदर कोमल ध्यान तितलियाँ बे-पर होंगी तब सोचेंगे
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
सुंदर कलियो कोमल फूलो ये तो बताओ ये तो कहो
आख़िर तुम में क्या जादू है क्यूँ मन में बस जाते हो
हबीब जालिब
ग़ज़ल
कोमल जोया
ग़ज़ल
जीवन के अँधियारे पथ पर जिस ने तेरा साथ दिया था
देख कहीं वो कोमल आशा आँसू बन कर टूट न जाए
नरेश कुमार शाद
ग़ज़ल
शीशा जब भी टूटेगा झंकार फ़ज़ा में गूँजेगी
जब ही कोमल देश दुलारे पत्थर से टकराए हैं
जमील अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
जीवन की कोमल अबला का स्वयंवर रचने वाला है
आओ सला-ए-आम है सब को जितने भी अलबेले हैं