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ग़ज़ल
ज़रा देख चाँद की पत्तियों ने बिखर बिखर के तमाम शब
तिरा नाम लिक्खा है रेत पर कोई लहर आ के मिटा न दे
बशीर बद्र
ग़ज़ल
बे-सम्त हवाओं ने हर लहर से साज़िश की
ख़्वाबों के जज़ीरे का नक़्शा भी नहीं बदला
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
दिल दरिया है दिल सागर है इस दरिया इस सागर की
एक ही लहर का आँचल थामे सारी उमर बिता देना