आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "manzil-e-ishq"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "manzil-e-ishq"
ग़ज़ल
इशरत जहाँगीरपूरी
ग़ज़ल
ग़म-ए-दौराँ की रही या ग़म-ए-जानाँ की रही
अल-ग़रज़ छेड़ रही मंज़िल-ए-नाकाम के साथ
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "manzil-e-ishq"
ग़म-ए-दौराँ की रही या ग़म-ए-जानाँ की रही
अल-ग़रज़ छेड़ रही मंज़िल-ए-नाकाम के साथ