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ग़ज़ल
सबा अफ़ग़ानी
ग़ज़ल
लज़्ज़त-ए-इंतिज़ार में खो गए हम तो ऐ 'नदीम'
अपना भी इंतिज़ार है उन का ही इंतिज़ार क्या
अनवर शादानी
ग़ज़ल
अहल-ए-वफ़ा के नाम तो ज़िंदा हैं आज भी
गो उन के जिस्म कब के मज़ारों में खो गए
नादिम अशरफी बुरहानपुरी
ग़ज़ल
मन में बसा कर मूरत इक अन-देखी कामनी राधा की
'अहमद' हम तो खो गए बृन्दाबन की कुंज गलियन के बीच
अहसन अहमद अश्क
ग़ज़ल
भटक रहा हूँ ज़माने में दर-ब-दर कब से
कोई दिखा दे ज़रा अब तो रास्ता मुझ को