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ग़ज़ल
हम पे ही ख़त्म नहीं मस्लक-ए-शोरीदा-सरी
चाक-ए-दिल और भी हैं चाक-ए-क़बा और भी हैं
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
बशीर बद्र
ग़ज़ल
मुझे पता है मुझे मनाने को तुम भी बेचैन हो रहे हो
तो क्या ज़रूरी है तुम भी इतने भरम दिखाओ मुझे मनाओ
आमिर अमीर
ग़ज़ल
गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझ को भी जमाने दो
मनाने दो मुझे भी जान-ए-मन त्यौहार होली में