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ग़ज़ल
कलीम आजिज़
ग़ज़ल
नहीं मिटतीं तिरी यादें नदी में ख़त बहाने से
ये अक्सर लौट आती हैं किसी दिलकश बहाने से
प्रमोद शर्मा असर
ग़ज़ल
दाग़ भी दिल के मिटे दिल की उमीदें भी मिटीं
तिरी हसरत भी गले मिल के जुदा होती है