aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "musalsal"
ज़िंदगी जब्र-ए-मुसलसल की तरह काटी हैजाने किस जुर्म की पाई है सज़ा याद नहीं
अपने ग़म से कहो हर वक़्त मिरे साथ रहेएक एहसान करो इस को मुसलसल कर दो
ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होतेजो आज तो होते हैं मगर कल नहीं होते
हर धड़कन हैजानी थी हर ख़ामोशी तूफ़ानी थीफिर भी मोहब्बत सिर्फ़ मुसलसल मिलने की आसानी थी
इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई कीआज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की
दुख ऐसा चाहिए कि मुसलसल रहे मुझेऔर उस के साथ साथ अनोखा भी चाहिए
शुक्रिया लुत्फ़-ए-मुसलसल का मगरगाहे गाहे दिल दुखाते जाइए
मुसलसल बेकली दिल को रही हैमगर जीने की सूरत तो रही है
एक तस्वीर कि अव्वल नहीं देखी जातीदेख भी लूँ तो मुसलसल नहीं देखी जाती
इक कर्ब-ए-मुसलसल की सज़ा दें तो किसे देंमक़्तल में हैं जीने की दुआ दें तो किसे दें
ध्यान में आ कर बैठ गए हो तुम भी नाँमुझे मुसलसल देख रहे हो तुम भी नाँ
उस के चेहरे पर मुसलसल आँख रुक सकती नहींआँख बार-ए-हुस्न से हलकान होती जाएगी
दिल का क्या है वो तो चाहेगा मुसलसल मिलनावो सितमगर भी मगर सोचे किसी पल मिलना
उदासियाँ हों मुसलसल तो दिल नहीं रोताकभी कभी हो तो ये कैफ़ियत भी प्यारी लगे
वो जौर-ए-मुसलसल से बाज़ आ तो गए लेकिनबे-दाद ये क्या कम है बे-दाद नहीं करते
जहाँ में रह के जहाँ से बराबरी की ये चोटइक इम्तिहान-ए-मुसलसल मिरी अना के लिए
इक जुस्तुजू सदा ही से ज़ेहन-ए-बशर में हैजब से मिली ज़मीन मुसलसल सफ़र में है
बयान-ए-हाल मुफ़स्सल नहीं हुआ अब तकजो मसअला था वही हल नहीं हुआ अब तक
दी है वहशत तो ये वहशत ही मुसलसल हो जाएरक़्स करते हुए अतराफ़ में जंगल हो जाए
किस की तलाश है हमें किस के असर में हैंजब से चले हैं घर से मुसलसल सफ़र में हैं
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