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ग़ज़ल
आँखों को इंतिशार है दिल बे-क़रार है
ऐ आने वाले आक़ा तिरा इंतिज़ार है
इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल
ग़ज़ल
अच्छा हुआ ये वक़्त तो आना ज़रूर था
मुद्दत से कश्मकश में दिल-ए-ना-सुबूर था
मिर्ज़ा अल्ताफ़ हुसैन आलिम लखनवी
ग़ज़ल
न फ़लक होगा न ये कूचा-ए-क़ातिल होगा
मिरे कहने में किसी दिन जो मिरा दिल होगा
मिर्ज़ा अल्ताफ़ हुसैन आलिम लखनवी
ग़ज़ल
म्यान से तेरा अगर ख़ंजर निकल कर रह गया
मेरे भी दिल में बड़ा अरमाँ सितमगर रह गया
मिर्ज़ा अल्ताफ़ हुसैन आलिम लखनवी
ग़ज़ल
दिल हुस्न के अंदाज़ से मसहूर बहुत है
आँख उस बुत-ए-तन्नाज़ की मख़मूर बहुत है