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ग़ज़ल
यहाँ एक बच्चे के ख़ून से जो लिखा हुआ है उसे पढ़ें
तिरा कीर्तन अभी पाप है अभी मेरा सज्दा हराम है
बशीर बद्र
ग़ज़ल
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं
मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
मुईन अहसन जज़्बी
ग़ज़ल
अब भी खड़ी है सोच में डूबी उजयालों का दान लिए
आज भी रेखा पार है रावण सीता को समझाए कौन
अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
ग़ज़ल
ख़ुद अपनी तबाही पर हँसना हर शख़्स के बस की बात नहीं
दीवाना है जो हँस लेता है दीवाने को समझाओ नहीं
अख़्तर आज़ाद
ग़ज़ल
तुम रसवंती नर्म लजीली ताज़ा कोंपल सब्ज़ कली
मैं पतझड़ का मारा पीपल सूख चले हैं पात मिरे
हसन कमाल
ग़ज़ल
अब तो आँखें पाप भरी हैं एक समय यारो ऐसा था
अगले घर की छत के पीछे चाँद बहुत प्यारा लगता था