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ग़ज़ल
सुकूत-ए-अर्ज़-ओ-समा पर्दा-हा-ए-शोरिश-ए-दिल
खुला कि ग़लग़ला-ए-अल-अमाँ तो कुछ भी नहीं
हादिस सलसाल
ग़ज़ल
मिरी तक़दीर शिकवा-संज दौर-ए-आसमाँ क्यूँ हो
मिले जब दर्द में लज़्ज़त तलाश-ए-मेहरबाँ क्यूँ हो
तालिब बाग़पती
ग़ज़ल
मेरी दुनिया संग-ओ-आहन उन की दुनिया चांद-सितारे
अक़्ल कहाँ तक दामन खींचे इश्क़ कहाँ तक हाथ पसारे
नूर बिजनौरी
ग़ज़ल
जुनूँ जोश-ए-अमल है कर नया इस में असर पैदा
नए फ़र्हाद-ओ-तेशे हों नए कोह-ओ-कमर पैदा
वजाहत अली संदैलवी
ग़ज़ल
इज्तिबा रिज़वी
ग़ज़ल
मिला तो दीद का मौक़ा मगर ग़ैरत को क्या कहिए
जब आई वादी-ए-ऐमन तो पर्दा कर लिया मैं ने
फ़ारूक़ बाँसपारी
ग़ज़ल
मिला तो दीद का मौक़ा मगर ग़ैरत को क्या कहिए
जब आई वादी-ए-ऐमन तो पर्दा कर लिया मैं ने
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
ग़ज़ल
हम नहीं हरगिज़ हुबाब-ए-बहर-ए-इम्काँ दहर में
साने-ए-कौनैन शक्ल-ए-बे-मिसाली में है आज
मिस्कीन शाह
ग़ज़ल
ज़मज़मा साज़ का पायल की छनाके की तरह
बेहतर-अज़-शोरिश-ए-नाक़ूस-ओ-अज़ाँ है साक़ी
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
नूर-ए-ईमाँ सुर्मा-ए-चश्म-ए-दिल-ओ-जाँ कीजिए
पर्दा-दार-ए-हुस्न-ए-यकता चश्म-ए-हैराँ कीजिए
साहिर देहल्वी
ग़ज़ल
क्यूँ आ गए हैं बज़्म-ए-ज़ुहूर-ओ-नुमूद में
आज़ाद मर्द हो के रहे हम क़ुयूद में