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ग़ज़ल
तराने कुछ दिए लफ़्ज़ों में ख़ुद को क़ैद कर लेंगे
अजब अंदाज़ से फैलेगा ज़िंदाँ हम न कहते थे
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
मिरे चारों तरफ़ फैली है हर्फ़-ओ-सौत की दुनिया
तुम्हारा इस तरह मिलना कहानी बन के फैलेगा
ज़ुबैर रिज़वी
ग़ज़ल
गर मोहब्बत है तो वो मुझ से फिरेगा न कभी
ग़म नहीं है मुझे ग़म्माज़ को भड़काने दो