aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "sa.ng-e-raah"
साए जो संग-ए-राह थे रस्ते से हट गएदिल जल उठा तो ख़ुद ही अँधेरे सिमट गए
ऐ संग-ए-राह आबला-पाई न दे मुझेऐसा न हो कि राह सुझाई न दे मुझे
न संग-ए-राह न सद्द-ए-क़ुयूद की सूरतमैं ढह रहा हूँ अब अपने वजूद की सूरत
बुत-ख़ाना संग-ए-राह है जिस कू-ए-यार काका'बा भी इक निशाँ है उसी रहगुज़ार का
कोई संग-ए-रह भी चमक उठा तो सितारा-ए-सहरी कहामिरी रात भी तिरे नाम थी उसे किस ने तीरा-शबी कहा
मुझ से गुरेज़-पा है तो हर रास्ता बदलमैं संग-ए-राह हूँ तो सभी रास्तों में हूँ
सर किसी संग-ए-रह की नज़्र हुआआप का संग-ए-दर नहीं देखा
गर्दिश-ए-पा जुनूँ बढ़ाती हैसंग-ए-रह की पुकार हैं हम लोग
संग-ए-रह बन के रोक लूँगा तुझेतेरी आदत समझ गया हूँ मैं
जो संग-ए-मील रहज़न के लिए हैवो संग-ए-राह उठवा लूँ बहुत है
कब से ख़्वाहिश है मैं कभी देखूँसंग-ए-रह संग-ए-मील होते हुए
संग-ए-रह हूँ एक ठोकर के लिएतिस पे वो दामन सँभाल आता है आज
आबला-पा कौन आया था इधरसंग-ए-रह भी फूल बन कर खिल गया
न संग-ए-राह है न राहबर हैभटकता दिल है और धुँदली नज़र है
वो संग-ए-राह भी ताज़ा हवा का झोंका भीकभी क़याम कभी हर तरफ़ रवाना है
मैं संग-ए-राह हूँ या नक़्श-ए-पा हूँकई पैरों तले रौंदा गया हूँ
कहाँ अब इस सहरा में हूँ मा'लूम नहींमैं ने संग-ए-राह समझ के हटाया क्या
राही ये संग-ए-मील नहीं संग-ए-राह हैंबुत बस गए हैं का'बा-ए-दिल में निकालिए
मैं संग-ए-राह नहीं दिल के इस दो-राहे परखड़ा हुआ हूँ फ़क़त अपनी राह देखने को
वो संग-ए-राह नहीं कोह-ए-नूर हीरा हैनज़र के ज़ाविए अपनी बदल के देखो तो
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books