aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "saaz-e-aish"
अंजुमन-साज़-ए-ऐश तू है यहाँऔर फिर किस की आरज़ू है यहाँ
ऐ 'ऐश' है फ़र्सूदा अब क़ैस का अफ़्सानाउल्फ़त तो किसी की भी जागीर नहीं होती
हर रविश उन की क़यामत है क़यामत ऐ 'ऐश'जिस तरफ़ जाते हैं इक हश्र बपा होता है
ऐ 'ऐश' जब से बादा-ए-ला-तक़्नतू मिलाबाक़ी रहा न डर हमें रोज़-ए-हिसाब का
हर बज़्म-ए-नशात ऐ 'ऐश' हुई उस शोख़ के जलवों से रौशनकाशाना-ए-ग़म में जल्वा-फ़गन लेकिन वो दिल-आरा हो न सका
कुछ ऐसे की है अदा रस्म-ए-बंदगी मैं नेगुज़ार दी तिरे वा'दे पे ज़िंदगी मैं ने
है 'ऐश' साथ कोई राहबर न हमराहीकटेगी देखिए तन्हा रह-ए-वफ़ा कैसे
कैसी उजड़ी है ये महफ़िल 'ऐश' हंगाम-ए-सहरशम-ए-कुश्ता है कहीं और ख़ाक-ए-परवाना कहीं
देख सौदा-जादा-ए-उल्फ़त-ए-ख़ूबाँ ऐ 'ऐश'वादी-ए-इश्क़ में क्या क्या तग-ओ-पू करते हैं
दुनिया लरज़ गई दिल-ए-हिरमाँ-नसीब कीइस तरह साज़-ए-ऐश न छेड़ा करे कोई
सई-ए-बे-फ़ाएदा है चारागरोमरज़-ए-इश्क़ की दवा ही नहीं
रहम ऐ चश्म बनाया है कहीं क्या दिल कोक़तरा-ए-अश्क हो मिज़्गाँ से टपकने के लिए
आशिक़ हुए हैं पर्दा-नशीं पर बस इस लिएरखते हैं सोज़-ए-इश्क़ निहाँ जान ओ तन में हम
शब सोज़-ए-ग़म से शम्अ-सिफ़त बे-क़रारियाँक्या क्या न मेरे दिल को रहीं तेरे वास्ते
वाइज़ो बंदा-ए-ख़ुदा तो है 'ऐश'हम ने माना वो पारसा न सही
बिगाड़ें चर्ख़ से हम 'ऐश' किस भरोसे परन आह में है न सोज़-ए-दिल-ओ-जिगर में असर
चारागर जाने दे तकलीफ़-ए-मुदावा है अबसमरज़-ए-इश्क़ से होता कहीं आराम भी है
यहाँ तो तुझ को सौ पर्दे लगे हैं अहल-ए-तक़्वा सेभला रिंदों से क्यूँ ऐ दुख़्तर-ए-रज़ तू नहीं छुपती
हम उस की चश्म-ए-सियह-मस्त के हैं मस्तानेये वो नशे हैं कि जिस का कभी उतार न हो
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