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ग़ज़ल
तुम ग़ैरत-ए-नाहीद हो तुम ज़ोहरा-जबीं हो
तुम को नहीं मालूम कि तुम कितने हसीं हो
तुफ़ैल होशियारपुरी
ग़ज़ल
अनवर अलीमी
ग़ज़ल
फिर नुक़ूश-ए-मा-सिवा का दिल में तूफ़ाँ देख कर
उन को आना ही पड़ा मुझ को परेशाँ देख कर