आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "sajan"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "sajan"
ग़ज़ल
कुछ हाल के अंधे साथी थे कुछ माज़ी के अय्यार सजन
अहबाब की चाहत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए
साग़र सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
कोई आज़ुर्दा करता है सजन अपने को हे ज़ालिम
कि दौलत-ख़्वाह अपना 'मज़हर' अपना 'जान-ए-जाँ' अपना
मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ
ग़ज़ल
उस रोज़ मियाँ मिल कर नज़रों को चुराते थे
तुझ याद में ही साजन करते हैं मुदारातें
मोहम्मद रफ़ी सौदा
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
ज़र्रे में सूरज और सूरज में ज़र्रे रौशन रहता है
अब मन में साजन रहते हैं और साजन में मन रहता है