aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "shor"
जुनूँ वही है वही मैं मगर है शहर नयायहाँ भी शोर मचा लूँ अगर इजाज़त हो
दाद-ओ-तहसीन का ये शोर है क्यूँहम तो ख़ुद से कलाम कर रहे हैं
अभी इक शोर सा उठा है कहींकोई ख़ामोश हो गया है कहीं
शोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल मेंकोई दीवार सी गिरी है अभी
सुना है उस को भी है शेर ओ शाइरी से शग़फ़सो हम भी मो'जिज़े अपने हुनर के देखते हैं
ता'लीम का शोर ऐसा तहज़ीब का ग़ुल इतनाबरकत जो नहीं होती निय्यत की ख़राबी है
नाला सर खींचता है जब मेराशोर इक आसमाँ से उठता है
हँसो आज इतना कि इस शोर मेंसदा सिसकियों की सुनाई न दे
ये किस ने जल्वा हमारे सर-ए-मज़ार कियाकि दिल से शोर उठा हाए बे-क़रार किया
है बरपा हर गली में शोर-ए-नग़्मामिरी फ़रियाद मारी जा रही है
सारी दुनिया जो भी बोले सब कुछ शोर-शराबा हैसब का कहना एक तरफ़ है उस का कहना एक तरफ़
शोर यूँही न परिंदों ने मचाया होगाकोई जंगल की तरफ़ शहर से आया होगा
अभी इक शोर-ए-हा-ओ-हू सुना है सारबानों नेवो पागल क़ाफ़िले की ज़िद में पीछे रह गया होगा
हाँ वो निगाह-ए-नाज़ भी अब नहीं माजरा-तलबहम ने भी अब की फ़स्ल में शोर बपा नहीं किया
काव काव-ए-सख़्त-जानी हाए-तन्हाई न पूछसुब्ह करना शाम का लाना है जू-ए-शीर का
क़ाफ़िले में सुब्ह के इक शोर हैया'नी ग़ाफ़िल हम चले सोता है क्या
गर बुका इस शोर से शब को है तोरोवेंगे सोने को हम-साए बहुत
'फ़ैसल' वो सारे लोग थे बहरे इसी लिएख़ामोश रह के शोर मचाना पड़ा मुझे
फिर क़फ़स में शोर उट्ठा क़ैदियों का और सय्याददेखना उड़ा देगा फिर ख़बर रिहाई की
गहरी रात है और तूफ़ान का शोर बहुतघर के दर-ओ-दीवार भी हैं कमज़ोर बहुत
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