आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "susu ryan-xu "
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "susu ryan-xu"
ग़ज़ल
साक़िब लखनवी
ग़ज़ल
बिछ जाती हैं सफ़ें की सफ़ें रन में चार सू
जब इक तरफ़ से करता हूँ मैं वार हर तरफ़
ग़ुलाम मुस्तफ़ा फ़राज़
ग़ज़ल
उठाएँगे न ऐ 'नख़शब' कभी नज़रें सू-ए-जन्नत
तसव्वुर में बहार-ए-कू-ए-जानाँ देखने वाले
नख़्शब जार्चवि
ग़ज़ल
रिंद रस्ते में आँखें बिछाएँ जो कहे बिन सुने मान जाएँ
नासेह-ए-नेक-तीनत किसी शब सू-ए-कू-ए-मलामत तो आए
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
अब तमाशा ही तमाशा है हर इक सू जानाँ
सब बुत-ओ-बुत-गर-ओ-बुत-ज़ाद हैं हम-ख़ू जानाँ
अख़लाक़ अहमद आहन
ग़ज़ल
बग़ैर-ए-ख़ू-ए-तस्लीम-ओ-रज़ा जीना कुछ ऐसा है
कि शुग़्ल-ए-बादा-नोशी जैसे बे-जाम-ओ-सुबू करना
अतहर ज़ियाई
ग़ज़ल
क़ैस दीवाना नहीं था तो गया क्यों सू-ए-दश्त
होते हैं कू-ए-सनम के दर-ओ-दीवार अज़ीज़