आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "tab-o-taab"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "tab-o-taab"
ग़ज़ल
जमाल पा के तब-ओ-ताब-ए-ग़म यगाना हुआ है
मिरे लिए ये ज़र-ए-गुल चराग़-ए-ख़ाना हुआ है
ज़हीर फ़तेहपूरी
ग़ज़ल
ताब असलम
ग़ज़ल
ज़माने भर को नई ताब-ओ-तब दिखा न सके
वो शख़्स क्या जो ग़मों में भी मुस्कुरा न सके
गौहर शेख़ पूर्वी
ग़ज़ल
अगर दिल वाक़िफ़-ए-नैरंगी-ए-तब-ए-सनम होता
ज़माने की दो-रंगी का उसे हरगिज़ न ग़म होता
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
मिरा मज़मूँ सवार-ए-तौसन-ए-तब-ए-रवाँ हो कर
ज़मीन-ए-शेर पर फिरता है गोया आसमाँ हो कर
हरी चंद अख़्तर
ग़ज़ल
अहवाल-ए-मोहब्बत में कुछ फ़र्क़ नहीं ऐसा
सोज़ ओ तब-ओ-ताब अव्वल सोज़ ओ तब-ओ-ताब आख़िर
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ज़बाँ से कुछ न कहना बावजूद-ए-ताब-ए-गोयाई
खुली आँखों से बस मंज़र ब मंज़र सोचते रहना