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ग़ज़ल
जानने के लिए बेताब था अग़्यार का हाल
उस ने पूछा न हमारे दिल-ए-बीमार का हाल
मोहम्मद आबिद अली आबिद
ग़ज़ल
नक़्श सारे ख़ाक के हैं सब हुनर मिट्टी का है
इस दयार-ए-रंग-ओ-बू में बस्त-ओ-दर मिट्टी का है
अब्बास ताबिश
ग़ज़ल
हबीब मूसवी
ग़ज़ल
है क्यूँ नक़्ल-ए-मकानी ये हवा-ए-ताज़ा-तर क्या है
समझ में कुछ नहीं आता इधर क्या है उधर क्या है