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ग़ज़ल
दिगर-गूँ है जहाँ तारों की गर्दिश तेज़ है साक़ी
दिल-ए-हर-ज़र्रा में ग़ोग़ा-ए-रुस्ता-ख़े़ज़ है साक़ी
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
मिरी आँखों से ज़ाहिर ख़ूँ-फ़िशानी अब भी होती है
निगाहों से बयाँ दिल की कहानी अब भी होती है
अख़्तर शीरानी
ग़ज़ल
रखे है रंग कुछ साक़ी शराब-ए-नाब आतिश का
मुक़त्तर क्या किया ले कर गुल-ए-शादाब आतिश का