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ग़ज़ल
उर्दू का नमक जो खाते हैं उर्दू पे गुज़ारा करते हैं
इस बात का दुख है लोग वही उर्दू से किनारा करते हैं
अज़ीमुद्दीन साहिल साहिल कलमनूरी
ग़ज़ल
दोस्त ख़ुश होते हैं जब दोस्त का ग़म देखते हैं
कैसी दुनिया है इलाही जिसे हम देखते हैं
सफ़ी औरंगाबादी
ग़ज़ल
फ़ुर्क़त से हम-कनार तो तू भी है मैं भी हूँ
मिलने को बे-क़रार तो तू भी है मैं भी हूँ
अभेकुमार बेबाक
ग़ज़ल
हम देखते हैं उन की तरफ़ बार बार क्यूँ
अपनी नज़र पे हम को नहीं इख़्तियार क्यूँ
फ़ज़ल हुसैन साबिर
ग़ज़ल
वो और हैं जिन्हें हालात साज़गार मिले
हमें तो फूल की चाहत में सिर्फ़ ख़ार मिले
नसीम ज़ैदी त्रिशूल
ग़ज़ल
मैं क्या कहूँ कि हाल है क्या हिज्र-ए-यार में
दिल इख़्तियार में न जिगर इख़्तियार में
नश्तर छपरावी
ग़ज़ल
रहने वालों को तिरे कूचे के ये क्या हो गया
मेरे आते ही यहाँ हंगामा बरपा हो गया