आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "urdu lughat tareekhi usool par"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "urdu lughat tareekhi usool par"
ग़ज़ल
मुद्दई ख़ुश थे सज़ा-ए-मौत पर 'तारिक़' मगर
क्यों मुझे मुंसिफ़ का चेहरा इतना अफ़्सुर्दा लगा
तारिक़ मुस्तफ़ा
ग़ज़ल
ज़बाँ पर आरज़ू की बात लाना सख़्त मुश्किल है
मगर राज़-ए-मोहब्बत का छुपाना सख़्त मुश्किल है
बद्र जमाली
ग़ज़ल
ख़्वाब रखे हैं तारीकी पर दर्द रखा है रातों पर
आग लगाई है अश्कों ने तोहमत है अंगारों पर
नसीर प्रवाज़
ग़ज़ल
किसी मंज़िल पे भी ज़ुल्म-ओ-सितम से डर नहीं सकता
कि मैं सज्दा कभी बातिल के आगे कर नहीं सकता
ओम प्रकाश लाग़र
ग़ज़ल
हक़ीक़त को अजब अंदाज़ से झुठलाया जाता है
ज़माने को ख़ुदा के नाम पर बहकाया जाता है