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ग़ज़ल
दिल भी धड़क रहा है निगाहें भी दर पे हैं
इक ख़ास लुत्फ़ वादा-ए-ना-मो'तबर में है
फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली
ग़ज़ल
गुज़र गया इंतिज़ार हद से ये वादा-ए-ना-तमाम कब तक
न मरने देगी मुझे सितमगर तिरी तमन्ना-ए-ख़ाम कब तक
फ़ानी बदायुनी
ग़ज़ल
सरफ़राज़ बज़्मी
ग़ज़ल
वादा-ए-वस्ल-ए-अदू आज वफ़ा हो कि न हो
नाला करता तो हूँ मैं हश्र बपा हो कि न हो
मोहम्मद लुतफ़ुद्दीन ख़ान लुत्फ़
ग़ज़ल
समो न तारों में मुझ को कि हूँ वो सैल-ए-नवा
जो ज़िंदगी के लब-ए-मो'तबर से निकलेगा
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
न वो वादा-ए-सर-ए-राह है न वो दोस्ती न निबाह है
न वो दिल-फ़रेबी के हैं चलन न वो प्यारी प्यारी निगाह है
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
अनवर मिर्ज़ापुरी
ग़ज़ल
वा'दा कर के भी न तुम आओ तुम्हारा इख़्तियार
हम करेंगे रात-दिन फिर भी तुम्हारा इंतिज़ार
नरेश एम. ए
ग़ज़ल
फिर इस के बाद तम्बूर ओ अलम ना-मो'तबर ठहरे
कोई क़ासिद न इस शाम-ए-शिकस्त-आसार तक आया
अख़्तर हुसैन जाफ़री
ग़ज़ल
किया है वा'दा तो फिर बज़्म-ए-रक़्स में आना
न कीजियो मुझे तुम शर्मसार होली में