aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "vaariso.n"
जब तू चले जनाज़ा-ए-आशिक़ के साथ साथफिर कौन वारिसों के सुने इज़्न-ए-आम को
ये भी ख़ुश-नसीबी है जो कि लिक्खी जाती हैवारिसों के खाने में अब भी वलदियत मेरी
वारिसों को न रहा याद कि विर्सा क्या थाऔर कफ़न भी शोहदा का अभी मैला न हुआ
है इतनी भूक मिरे वारिसों को विर्से कीख़रीद लाए मिरे जीते-जी कफ़न मेरा
वारिसों में हो चुका जब फ़ैसलामरने वाले का जनाज़ा तब उठा
मुझ को तहज़ीब के बर्ज़ख़ का बनाया वारिसजुर्म ये भी मिरे अज्दाद के सर जाएगा
जहाँ वादियों में नए फूल आएहमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी
सुर्ख़ और सब्ज़ वादियों की तरफ़वो मिरे साथ चल रही होगी
ज़रा सी लग़्ज़िश पे तोड़ देते हैं सब तअ'ल्लुक़ ज़माने वालेसो ऐसे वैसों से भी तअ'ल्लुक़ बना के रखना कमाल ये है
वाइ'ज़ों को न करे मनअ' नसीहत से कोईमैं न समझूँगा किसी तरह से समझाने दो
मिरे अशआ'र पर ख़ामोश है जिज़-बिज़ नहीं होताये वाइज़ वाइ'ज़ों में कुछ हक़ीक़त-आश्ना होगा
एक वारिस हमेशा होता हैतख़्त ख़ाली रहा नहीं करता
कोई वारिस हो तो आए और आ कर देख लेज़िल्ल-ए-सुब्हानी की ऊँची छत में जाले पड़ गए
कौन वारिस है छाँव का आख़िरधूप में हम-सफ़र से पूछते हैं
ऐ ला इलाह के वारिस बाक़ी नहीं है तुझ मेंगुफ़्तार-ए-दिलबराना किरदार-ए-क़ाहिराना
लोग कंधे बदल बदल के चलेघाट पहुँचे बड़े वसीलों से
ख़्वाब जो ता'बीर के बस के न थेदोस्तों ने उन पे जानें वारियाँ
वादियों में गाह उतरा और कभी पर्बत चढ़ाबोझ सा इक दिल पे रक्खा है जिसे ढोता रहा
ये ज़ुल्म-ए-बे-निहायत दुश्वार-तर कि ख़ूबाँबद-वज़इयों को अपनी महमूद जानते हैं
ये सानेहा है कि वाइ'ज़ों से उलझ पड़े हमये वाक़िआ' है कि पी रहे थे शराब सारे
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books