aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "اپلبدھ"
उसे कहना मोहब्बत का नहीं नेमुल-बदल कोईउसे कहना मोहब्बत का नहीं है हम-शकल कोई
हर रात ये अपराध संगीन करती हूँमेरा नाम आम में लेने नहीं
वो जिस की ख़ुदी दौर-ए-हाज़िर की फ़िरऔनियत के लिए बह्र-ए-क़ुल्ज़ुम के साहिल पे ज़र्ब-ए-कलीमी की नेमुल-बदल हैवो जिस ने दयार-ए-ग़ज़ल से लब-ओ-आरिज़-ओ-ज़ुल्फ जैसे अनासिर को बाहर निकाला
क्या जाने मुझ जन्म-जली नेक्या अपराध किया है
अच्छा तो ये तीसरी फोटो वालीसौ में आप को जचती है
किसी नेमुल-बदल को ढूँड लेती हैवगर्ना उन की शादाबी ख़िज़ाँ की नज़्र होती है
मौन अपने प्रवाह में है लय-मानगतियों से आबद्ध में
मुझे मालूम है कि कुछ न बदलेगान शाख़-ए-हिज्र पर आसार आएँगे ख़िज़ाओं के
तेरी गोद का नेमुल-बदल बनानाख़ुदा की मशिय्यत में न था
वफ़ादार मज़बूत नेमुल-बदलदर-हक़ीक़त कोई है
माँ का ने'मुल-बदल नहीं कोईये तो इक बरमला हक़ीक़त है
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