aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "جنوری"
आओ कि आज ग़ौर करें इस सवाल परदेखे थे हम ने जो वो हसीं ख़्वाब क्या हुए
बहुत याद आता है गुज़रा ज़मानावो हर जनवरी में नुमाइश के चर्चे
जनवरी फ़रवरी मार्च में पड़ेगी सर्दीऔर अप्रैल मई जून में हो गी गर्मी
हम दिसम्बर में शायद मिले थे कहीं..!!जनवरी, फ़रवरी, मार्च, अप्रैल....
ऐ शांति अहिंसा की उड़ती हुई परीआ तू भी आ कि आ गई छब्बीस जनवरी
रोज़-ए-सईद आया छब्बीस जनवरी कादौर-ए-जदीद लाया भारत की बरतरी का
लगती है हम को आज हर इक गुफ़्तुगू नईउजला सा आफ़्ताब है छब्बीस जनवरी
जनवरी का महीना जो आ कर गयाफिर नए साल की इब्तिदाई कर गया
सरचश्मा-ए-ख़ुशी हैछब्बीस जनवरी है
आज फिर है हमें ख़ुशी ऐ दोस्तआई छब्बीस जनवरी ऐ दोस्त
फिर नए साल का मतलब हमें समझाती हैजनवरी सब्ज़ दुपट्टे में चली आती है
जब जनवरीअपने सुनहरी गेसुओं को खोल कर
हर साल जगमगाती है छब्बीस जनवरीहर सम्त मुस्कुराती है छब्बीस जनवरी
दीवारों पर नए कैलेंडर नए मनाज़िर होंगेदौड़ी दौड़ी आई जनवरी बॉय दिसम्बर बाबा
किसी गिरजे के वीराँ लॉन मेंजब जनवरी
मिरे अय्याश लम्हों की फ़ुसूँ-गर पुर-जुनूनी के लिएसद-लज़्ज़त आगीं सद-करिश्मा पुर-ज़बानी थे
जनवरी में दिन हैं इकतीसफ़रवरी में हैं अट्ठाईस
फिर इकसर्द ठिठुरा हुआ दिन
क्या ही छब्बीस जनवरी का ये दिनअज़्मत-ओ-एहतिशाम वाला है
और फ़सलों के रोंगटों में उतर रहा हैहमें जुलाई में जनवरी की फ़ज़ाएँ मंज़ूर किस तरह हों
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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