aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "حبوط"
ऐ आफ़ताब-ए-हुब्ब-ए-वतन तू किधर है आजतू है किधर कि कुछ नहीं आता नज़र है आज
एक हुनूत-शुदा उफ़ुक़ की तरहबिल-आख़िर हस्ती की ज़ाद-बूम पर धुँद छा गई
उफ़ुक़ पर चस्पाँ एक हुनूत किया हुआ सरकिसी सूरमा का
मिरे हुनूत-शूदा हर्फ़ और लम्हेपड़े हुए हैं
मेरा सायायही सब मुर्दा मनाज़िर को मेरे अंदर हनूत कर के बैठ गया है
हनूत जिस्मों के कार-ख़ाने मेंलाश रक्खी हुई है किस की
शहर-ए-दिल के ख़ामोश गली-कूचों मेंदुखों के क़ाफ़िले आ कर ठहरे हैं
मैं नेमौत का चेहरा हनूत कर के
हुनूत हो कर पड़े हुए हैंकितनी मंज़िलें हैं
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