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नज़्म
उदास-उदास सी रातें थके-थके से नुजूम
ये अब्र-ओ-बाद की यूरिश ये बिजलियों का हुजूम
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
देखो ये क़ुदरत-ए-चमन-आरा-ए-रोज़गार
वो अब्र-ओ-बाद ओ बर्फ़ में रहते हैं बरक़रार
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
कोह-ओ-राग़-ओ-अब्र-ओ-बाद-ओ-महर-ओ-मह जिन्न-ओ-बशर
नूर-ए-हुस्न-ए-हक़ से हैं ये सब मुनव्वर सर-बसर
हामिद हसन क़ादरी
नज़्म
सो रही थीं नद्दियाँ और झुक गए थे बर्ग-ओ-बार
बुझ गया था ख़ाक की नब्ज़ों में हस्ती का शरार
जौहर निज़ामी
नज़्म
मोहब्बत के बुलंद-ओ-बाग दा'वे सब ही करते हैं
मोहब्बत की असली मेराज को कब कोई समझा है
अफ़रोज़ रिज़वी
नज़्म
फ़िरदौस-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ है दामान-ए-लखनऊ
आँखों में बस रहे हैं ग़ज़ालान-ए-लखनऊ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
वो अफ़्साने किया है चाँद तारों का सफ़र जिन में
ये दुनिया एक धुँदली गेंद आती है नज़र जिन में
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
आसमाँ की गोद में दम तोड़ता है तिफ़्ल-ए-अब्र
जम रहा है अब्र के होंटों पे ख़ूँ-आलूद कफ़