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नज़्म
रहेगा लाल गुलाब सा सपना कब तक मेरे संग
कब तक इस में बास रहेगी, कब तक उस में रंग
सज्जाद बाक़र रिज़वी
नज़्म
सर्द रातों का हसीं इक ख़्वाब है चेहरा तिरा
क्या कहूँ बस मंज़र-ए-नायाब है चेहरा तिरा