आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "گزرو"
नज़्म के संबंधित परिणाम "گزرو"
नज़्म
कभी तुम ख़ला से गुज़रो किसी सीम-तन की ख़ातिर
कभी तुम को दिल में रख कर कोई गुल-अज़ार आए
साहिर लुधियानवी
नज़्म
उन को रहगुज़र पर एक सी तरतीब से अब भी सजाते हैं
सबीलें सुर्ख़ कपड़ों से मुज़य्यन जगमगाती हैं