aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "उजाला"
क़ुव्वत-ए-इश्क़ से हर पस्त को बाला कर देदहर में इस्म-ए-मोहम्मद से उजाला कर दे
ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहरवो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं
मिरी अज़्मतों का हवाला है तूतू ही रौशनी है उजाला है तू
दूर दुनिया का मिरे दम से अँधेरा हो जाए!हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाए!
ना-तराशीदा सा हीरा था तराशा तू नेज़ेहन-ए-तारीक को बख़्शा है उजाला तू ने
न दिल में लौह-ए-जबीं से किया उजाला भीवो माँ कभी जो मुझे बद्धियाँ पहना न सकी
आँख से ओझल दिल के उजालेऐ अंधों की आँख के तारे
उन गलियों में कूचों में, अंधेरा न उजालादरवाज़ों के पट बंद थे, ख़ाली थे दरीचे
सुब्ह का कुछ उजाला भी हैहमदमो!
अब किसी सम्त अंधेरा न उजाला होगाबुझ गई दिल की तरह राह-ए-वफ़ा मेरे बाद
उजाला सा उजाला है तिरी शम-ए-हिदायत काशब-ए-तीरा में भी इक रौशनी महसूस होती है
उजाले का ज़माना है उजाले की जवानी हैये हँसती जगमगाती रात सब रातों की रानी है
आता है अब तीरगी इक उजाला बनी है मगर इस उजाले से रिसती चली जा रहीहैं वो अमृत की बूँदें जिन्हें मैं हथेली पे अपनी सँभाले रहा हूँ हथेली
मेरे ख़्वाबों के शबिस्ताँ में उजाला न करोकि बहुत दूर सवेरा नज़र आता है मुझे
उजाला है कैसा ये शम्स-ओ-क़मर परख़ुदा की ये बातें ख़ुदा जानता है
जहाँ एक उजाला बहता हैवाँ लहरों लहरों हैं किरनें
हर इक मकाँ में जला फिर दिया दिवाली काहर इक तरफ़ को उजाला हुआ दिवाली का
मेरी हमदम, मिरे ख़्वाबों की सुनहरी ताबीरमुस्कुरा दे कि मिरे घर में उजाला हो जाए
शफ़क़ नज़्अ' में ले रही थी सँभालाअँधेरे का ग़म खा रहा था उजाला
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