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नज़्म
मदद करनी हो उस की यार की ढारस बंधाना हो
बहुत देरीना रस्तों पर किसी से मिलने जाना हो
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
आसाइश अगर ज़िंदगी है तो बे-माएगी और मसाइब भी
जागना ज़िंदगी है तो नींद और नींद में ख़्वाबों का आना भी
जावेद नदीम
नज़्म
वो हो गुज़रे तो फिर ख़ुद मैं ने भी जाना वो हो गुज़रे
शुमाल-ए-जावेदाँ अपना शुमाल-ए-जावेदान-ए-जाँ