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नज़्म
पामाल-ए-फ़क़्र-ओ-ज़िल्लत हैं इज़्ज़-ओ-शान वाले
सैद-ए-ग़म-ओ-अलम हैं तीर-ओ-कमान वाले
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
दौलत-ए-फ़क़्र अमीरों में नहीं मिलती अब
फिरते हैं झाँकते दर-दर फ़ुक़रा तेरे बाद
ज़ाहिदा ख़ातून शरवानिया
नज़्म
सर-ज़मीन-ए-शेर काबा और तू इस का ख़लील
शाख़-ए-तूबा-ए-सुख़न पर हमनवा-ए-जिब्रईल
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
तुम्हें ये फ़िक्र कि है कौन वो गुल-ए-ताज़ा
जो मेरी आख़िरी धड़कन का हर्फ़-ए-आख़िर है
सलाहुद्दीन नय्यर
नज़्म
निगाह को थी मगर मीर-ए-कारवाँ की तलाश
नज़र जो उट्ठी तो देखा कि एक मर्द-ए-फ़क़ीर
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
वो जिन्हें ताब-ए-गिराँ-बारी-ए-अय्याम नहीं
उन की पलकों पे शब ओ रोज़ को हल्का कर दे