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नज़्म
देखता है तू फ़क़त साहिल से रज़्म-ए-ख़ैर-ओ-शर
कौन तूफ़ाँ के तमांचे खा रहा है मैं कि तू
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मैं शहीद-ए-जुस्तुजू था यूँ सुख़न-गुस्तर हुआ
ऐ तिरी चश्म-ए-जहाँ-बीं पर वो तूफ़ाँ आश्कार
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
न तूफ़ाँ रोक सकते हैं न आँधी रोक सकती है
मगर फिर भी मैं उस क़स्र-ए-हसीं तक जा नहीं सकता
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
तूफ़ानों की बात नहीं है, तूफ़ाँ आते जाते हैं
तू इक नर्म हवा का झोंका, दिल के बाग़ में ठहरा है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
जवाँ हूँ मैं जवानी लग़्ज़िशों का एक तूफ़ाँ है
मिरी बातों में रंग-ए-पारसाई हो नहीं सकता
साहिर लुधियानवी
नज़्म
अभी हैं शहर की तारीक गलियाँ मुंतज़िर मेरी
अभी है इक हसीं तहरीक-ए-तूफ़ाँ मुंतज़िर मेरी
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
जवानी की अँधेरी रात है ज़ुल्मत का तूफ़ाँ है
मिरी राहों से नूर-ए-माह-ओ-अंजुम तक गुरेज़ाँ है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
वो बगूले वो तूफ़ाँ वो महशर बपा था
कि मैं वो कि जिस के तहम्मुल की हिकमत की