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नज़्म
ना'त-ए-नबी पे इस्मत-ए-आवारा नुक्ता-चीं
ख़ौफ़-ए-ख़ुदा था ज़ोहरा-वशों में घिरा हुआ
शोरिश काश्मीरी
नज़्म
रंडियाँ ना'त-ए-नबी पर नुक्ता-फ़रसाई करें
तू कहाँ ऐ इंतिक़ाम-ए-गर्दिश-ए-अय्याम है
शोरिश काश्मीरी
नज़्म
दोश-ए-गीती पे परेशाँ हुई फिर ज़ुल्फ़-ए-शमीम
लड़खड़ाती हुई फिरती है गुलिस्ताँ में नसीम
हफ़ीज़ बनारसी
नज़्म
ख़ुद-फ़रामोश सुबुक-दोश-ए-अमल
अपने अज्दाद के ना-कर्दा गुनाहों की उक़ूबत से बरी
मोहम्मद दीन तासीर
नज़्म
हवा के दोश-ए-मर्ग़ेज़ार को दुल्हन बना गई
अभी मिरी ज़मीन की फ़ज़ाएँ सुब्ह-ए-फ़ाम हैं
अम्बर बहराईची
नज़्म
सुरय्या का कोई परतव न हम-आग़ोश-ए-फ़ितरत हो
कोई अंजुम न भूले से ज़िया-बर-दोश-ए-फ़ितरत हो
ऋषि पटियालवी
नज़्म
मेरे आलम में नहीं इस बद-मज़ाक़ी का शिआर
काकुल-ए-अफ़्साना हो दोश-ए-हक़ीक़त से दो-चार
जोश मलीहाबादी
नज़्म
गाएँ तराने दोश-ए-सुरय्या पे रख के सर
तारों से छेड़ हो मह-ए-कामिल में हम भी हों