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नज़्म
जिस दिन से बँधा है ध्यान तिरा घबराए हुए से रहते हैं
हर वक़्त तसव्वुर कर कर के शरमाए हुए से रहते हैं
अख़्तर शीरानी
नज़्म
मीराजी
नज़्म
फ़हमीदा रियाज़
नज़्म
हर आन दिलों विच याँ अपने जो ध्यान गुरु का धरते हैं
और सेवक हो कर उन के ही हर सूरत बीच कहाते हैं