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नज़्म
उस का जल्वा है अयाँ गुल-हा-ए-रंगा-रंग से
सब्ज़े में शाख़ों में घर उस ने किया सौ ढंग से
हामिद हसन क़ादरी
नज़्म
है ये रंगा-रंग का त्यौहार हम सब के लिए
ताकि रौशन हों हर इक दिल में मोहब्बत के दिए
हबीब अहमद अंजुम दतियावी
नज़्म
चमन की बज़्म-ए-रंगा-रंग में रक़्साँ है यक-रंगी
कि इस का साज़-ए-सद-आवाज़ भी है हम-ज़बाँ अपना
राम लाल वर्मा हिंदी
नज़्म
जब्र-ए-बे-रंगी का ख़म्याज़ा मुक़द्दर है
अगर यूँ अपने हाथों से लगाई मेहँदियों के रंग उड़ जाएँ
किश्वर नाहीद
नज़्म
''याद थीं हम को भी रंगा-रंग बज़्म-आराइयाँ''
''ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ''
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
तेरी जुम्बिश का नतीजा हैं ये दफ़्तर लाखों
नक़्श-ए-ख़ुश-रंग के मम्नून हैं पत्थर लाखों
मास्टर बासित बिस्वानी
नज़्म
तेरी पेशानी-ए-रंगीं में झलकती है जो आग
तेरे रुख़्सार के फूलों में दमकती है जो आग
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
मिरे महबूब तेरी उल्फ़त-ए-सादिक़ पे नाज़ाँ हूँ
तिरे हुस्न-ए-क़यामत-ख़ेज़-ओ-रंगीं का ग़ज़ल-ख़्वाँ हूँ
धर्मपाल आक़िल
नज़्म
अर्श सिद्दीक़ी
नज़्म
अर्ग़वाँ-ज़ार-फ़लक के मंज़र-ए-ख़ुश-रंग ने
कर दिया है और दिलकश तेरे नक़्श-ए-नाज़ को