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नज़्म
सोने वालों को पयाम-ए-सुब्ह-ए-नौ देती हुई
ख़्वाब की दुनिया उठी अंगड़ाइयाँ लेती हुई
मयकश अकबराबादी
नज़्म
रंग-ए-चमन बना है गरेबान-ए-सुब्ह-ए-ईद
दामान-ए-गुल से कम नहीं दामान-ए-सुब्ह-ए-ईद
मास्टर बासित बिस्वानी
नज़्म
दलील-ए-सुब्ह-ए-रौशन है सितारों की तुनुक-ताबी
उफ़ुक़ से आफ़्ताब उभरा गया दौर-ए-गिराँ-ख़्वाबी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तुलू-ए-सुब्ह-ए-फ़र्दा की मुनादी भी ज़रा सुन लो
ये एटम जब फटेगा तो क़यामत चार-सू होगी
कैलाश माहिर
नज़्म
ख़्वाबों के गुलिस्ताँ की ख़ुश-बू-ए-दिल-आरा है
या सुब्ह-ए-तमन्ना के माथे का सितारा है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
फीका है जिस के सामने अक्स-ए-जमाल-ए-यार
अज़्म-ए-जवाँ को मैं ने वो ग़ाज़ा अता किया
आल-ए-अहमद सुरूर
नज़्म
सुब्ह-दम बाद-ए-सबा की शोख़ियाँ काम आ गईं
लाला-ओ-गुल को बग़ल-गीरी का मौक़ा मिल गया
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
ये रौशन सुब्ह ये मीठे सुरों में पंछियों के गान
किसी कमसिन की दस्तक से उठी ये नूपुरों की तान
पुष्पराज यादव
नज़्म
घर में कुछ भी नहीं तारीक सी ख़ुशबू के सिवा
कुछ चमकता नहीं अब ख़ौफ़ के जुगनू के सिवा