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नज़्म
जिस के ख़ून-ए-गरम से बज़्म-ए-चराग़ाँ ज़िंदगी
जिस के फ़िरदौसी तनफ़्फ़ुस से गुलिस्ताँ ज़िंदगी
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
वो इक आलिम है इक साहिब-नज़र है माहिर-ए-फ़न है
वो अपने दौर का होमर है फ़िरदौसी है मिल्टन है
तकमील रिज़वी लखनवी
नज़्म
जहान-ए-क़ुद्स का तू एक फ़िरदौसी फ़साना है
तुझे मिस्र-ए-जमाल-ओ-नाज़ की इक साहिरा कहिए
नय्यर वास्ती
नज़्म
दोस्त जो बिछड़े हुए इक दिन अचानक मिल गए
दिल तो ग़मगीं थे मगर चेहरे ख़ुशी से खिल गए
इक़बाल फ़िरदौसी
नज़्म
बे-तकल्लुफ़ ख़ंदा-ज़न हैं फ़िक्र से आज़ाद हैं
फिर उसी खोए हुए फ़िरदौस में आबाद हैं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तेरे फ़िरदौस-ए-तख़य्युल से है क़ुदरत की बहार
तेरी किश्त-ए-फ़िक्र से उगते हैं आलम सब्ज़ा-वार
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तुम कि बन सकती हो हर महफ़िल में फ़िरदौस-ए-नज़र
मुझ को ये दावा कि हर महफ़िल पे छा सकता हूँ मैं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
फ़िरदौस-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ है दामान-ए-लखनऊ
आँखों में बस रहे हैं ग़ज़ालान-ए-लखनऊ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
पहले तो हुस्न-ए-अमल हुस्न-ए-यक़ीं पैदा कर
फिर इसी ख़ाक से फ़िरदौस-ए-बरीं पैदा कर
जिगर मुरादाबादी
नज़्म
अब तक असर में डूबी नाक़ूस की फ़ुग़ाँ है
फ़िरदौस-ए-गोश अब तक कैफ़िय्यत-ए-अज़ाँ है