आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बर्क़-ए-जमाल-ए-यार"
नज़्म के संबंधित परिणाम "बर्क़-ए-जमाल-ए-यार"
नज़्म
फीका है जिस के सामने अक्स-ए-जमाल-ए-यार
अज़्म-ए-जवाँ को मैं ने वो ग़ाज़ा अता किया
आल-ए-अहमद सुरूर
नज़्म
वो तश्बीहें हैं जिन पर नाज़ करते हैं ज़बाँ वाले
जहाँ तू ने ज़रा बर्क़-ए-जमाल-ए-शे'र चमकाई
बिर्ज लाल रअना
नज़्म
आ 'जमाल'-ए-ज़ार को भी राज़दार-ए-दिल बना
ज़िंदगी इस की भी इक बर्क़-ए-दिल-ए-बिस्मिल बना
बिलक़ीस जमाल बरेलवी
नज़्म
दफ़'अतन दो नर्म-ओ-नाज़ुक हाथ शानों से लगे
बर्क़-ए-ख़िर्मन-सोज़ जैसे आशियाने पर गिरे
बर्क़ आशियान्वी
नज़्म
मक़्तल में 'बर्क़' मुझ से कशीदा है तेग़-ए-यार
तड़पा रही है दर्द से बाँकी दुल्हन मुझे
बर्क़ देहलवी
नज़्म
जमाल-ए-हुस्न-ए-यार की वफ़ा भी क्या ही ख़ूब थी
कमाल-ए-दिलबरी की वो अदा भी क्या ही ख़ूब थी
अशफ़ाक़ अहमद साइम
नज़्म
मुजस्सम शौकत-ए-दौराँ सरापा जाम-ए-जम भी हैं
जलाल-ए-बर्क़ भी हैं ज़ालिमों के वास्ते लेकिन