aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ब-उम्मीद"
(1)ताज़ा हैं अभी याद में ऐ साक़ी-ए-गुलफ़ाम
मरहम-ए-यास से माइल-ब-शिफ़ा होने लगाज़ख़्म-ए-उम्मीद कोई फिर से हरा होने लगा
घर में बैठे हुए क्या लिखते होबाहर निकलो
यास-खेज़ सुब्हों सेबे-सुकून शामों से
रात बाक़ी थी अभी जब सर-ए-बालीं आ करचाँद ने मुझ से कहा 'जाग सहर आई है
जब कोई नाव डगमगाती हैआस जब दिल की टूट जाती है
किस तरह रोकता हूँ अश्क अपनेकिस क़दर दिल पे जब्र करता हूँ
सब जानते हैं इल्म से है ज़िंदगी की रूहबे-इल्म है अगर तो वो इंसाँ है ना तमाम
ख़ाली कमरे में मिरा रख़्त-ए-सफ़र रक्खा हैचंद अरमान हैं पोशीदा निहाँ-ख़ाने में
ये मस्त मस्त घटा, ये भरी भरी बरसाततमाम हद्द-ए-नज़र तक घुलावटों का समाँ
दावतबहार बीतने वाली है आ भी जा सलमा
कैसी ख़ामोशी है वीरानी है सन्नाटा हैकोई आहट है न आवाज़ न कोई धड़कन
अब न चेहरे पे उजालान गरेबाँ में सहर
शहीदों का सरताज जन्नत-मक़ाममोहब्बत की मेराज ज़ी-एहतिराम
आबला-पा जिगर अफ़गार कराँ ता-ब-कराँइसी उम्मीद पे शायद कि कोई पहचाने
मिरे यारतेरा मिरा एक ही रास्ता है
अँधेरी रात के मुसाफ़िरज़रा दम तो लो
सारे मंज़र एक जैसेसारी दुनिया एक सी
ख़ुदा-ए-बर्तरतेरी वहदानियत की क़सम
परसों ने कल को पाला थाप्रवान चढ़ाया कल ने आज
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