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नज़्म
अपनी बेगम पर हुए शाम-ओ-सहर हम यूँ निसार
पोस्टरों की शक्ल में रस्सी पे लटका है वो प्यार
नश्तर अमरोहवी
नज़्म
कि ज़िंदगी गोया मौज की रस्सी हो गई है
उस के जीवन में न कोई प्रेम बचा है न प्रतीक्षा