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नज़्म
बिर्ज लाल रअना
नज़्म
रिश्ता-ए-मेहर-ओ-वफ़ा तोड़ न देना साथी
वैसे मैं अश्कों से बढ़ कर तुझे देता क्या था
सलाहुद्दीन नय्यर
नज़्म
ये तुम ने किस लिए तेग़-ओ-तबर से काम लिया
तुम्हारे हाथों में ख़ंजर हैं किस लिए यारो
नाज़िश प्रतापगढ़ी
नज़्म
तभी तो हम ने तोड़ दिया था रिश्ता-ए-शोहरत-ए-आम
तभी तो हम ने छोड़ दिया था शहर-ए-नुमूद-ओ-नाम
इफ़्तिख़ार आरिफ़
नज़्म
ख़ुशनुमा शहरों का बानी राज़-ए-फ़ितरत का सुराग़
ख़ानदान-ए-तेग़-ए-जौहर-दार का चश्म-ओ-चराग़
जोश मलीहाबादी
नज़्म
तोले हुए है तेग़-ओ-सिनाँ हुस्न-ए-बे-नक़ाब
नावक-फ़गन है जल्वा-ए-पिन्हान-ए-लखनऊ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
अर्श मलसियानी
नज़्म
गर्दन-ए-हक़ पर ख़राश-ए-तेग़-ए-बातिल ता-ब-कै?
अहल-ए-दिल के वास्ते तौक़-ओ-सलासिल ता-ब-कै?
जोश मलीहाबादी
नज़्म
क़ियाम नाम है किस का इसे नहीं मालूम
हमेशा गर्म-ए-तग-ओ-दौ है कारवान-ए-हयात