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नज़्म
उक़ाबी शान से झपटे थे जो बे-बाल-ओ-पर निकले
सितारे शाम के ख़ून-ए-शफ़क़ में डूब कर निकले
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
काफ़िर-ए-हिन्दी हूँ मैं देख मिरा ज़ौक़ ओ शौक़
दिल में सलात ओ दुरूद लब पे सलात ओ दुरूद
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जबीं पर साया-गुस्तर परतव-ए-क़िंदील-ए-रहबानी
अज़ार-ए-नर्म-ओ-नाज़ुक पर शफ़क़ की रंग-अफ़्शानी
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
झुटपुटे का नर्म-रौ दरिया शफ़क़ का इज़्तिराब
खेतियाँ मैदान ख़ामोशी ग़ुरूब-ए-आफ़्ताब
जोश मलीहाबादी
नज़्म
आरिज़-ए-गर्म पे वो रंग-ए-शफ़क़ की लहरें
वो मिरी शोख़-निगाही का असर आज की रात
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
काँपता फिरता है क्या रंग-ए-शफ़क़ कोहसार पर
ख़ुश-नुमा लगता है ये ग़ाज़ा तिरे रुख़्सार पर
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कितने ज़ेहनों का लहू कितनी निगाहों का अरक़
कितने चेहरों की हया कितनी जबीनों की शफ़क़
साहिर लुधियानवी
नज़्म
राह-नवर्द-ए-शौक़ को रह में कैसे कैसे यार मिले
अब्र-ए-बहाराँ अक्स-ए-निगाराँ ख़ाल-ए-रुख़-ए-दिल-दार मिले
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
नई ख़ुश्बू लिए मुझ को जगाने के लिए आए
जिधर भी आँख उठाता हूँ शफ़क़ की मुस्कुराहट है