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नज़्म
ख़ामोशी मेरी साथी है और देखने वाला कोई नहीं
ऐ काश कहीं से आ जाते जीने का बहाना कोई नहीं
वसीम बरेलवी
नज़्म
तुम से क़ुव्वत ले कर अब मैं तुम को राह दिखाऊँगा
तुम परचम लहराना साथी मैं बरबत पर गाऊँगा