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नज़्म
वो हँसती हो तो शायद तुम न रह पाते हो हालों में
गढ़ा नन्हा सा पड़ जाता हो शायद उस के गालों में
जौन एलिया
नज़्म
देखा तो एक दर में है बैठी वो ख़स्ता-हाल
सकता सा हो गया है ये है शिद्दत-ए-मलाल
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
सरमाए के हाथों लोगों की किस तरह मोहब्बत धूल हुई
सदियों से बराबर मेहनत-कश हालात से लड़ते आए हैं
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
किसी ने हाल पूछा तो बहुत ही बे-नियाज़ी से
कहा जी हाँ ख़ुदा का शुक्र है मैं ख़ैरियत से हूँ
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
हाल के सिक्के को माज़ी का जो सिक्का देख ले
सौ रूपे के नोट के मुँह पर दो अन्नी थूक दे
जोश मलीहाबादी
नज़्म
कैसा सुहाना कैसा सुंदर प्यारा देस हमारा है
दुख में सुख में हर हालत में भारत दिल का सहारा है