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नज़्म
अख़्तर शीरानी
नज़्म
मिरे तख़्ईल के बाज़ू भी उस को छू नहीं सकते
मुझे हैरान कर देती हैं नुक्ता-दानियाँ उस की
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
आमिर उस्मानी
नज़्म
मेले की सज-धज में खो कर बाप की उँगली छोड़ गया
होश आया तो ख़ुद को तन्हा पा के बहुत हैरान हुआ
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
गो साथ हमारा ख़ूब रहा उस को न हुई पहचान बहुत
गर बूझ ले दिल की बात कभी हो जाता था हैरान बहुत
फ़हमीदा रियाज़
नज़्म
तन में है वो ख़ुशबू कि हैं गुल सर-ब-गरेबाँ
चेहरे पे वो सुर्ख़ी है कि हैरान गुलिस्ताँ