आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "KHaak-e-KHaam"
नज़्म के संबंधित परिणाम "KHaak-e-KHaam"
नज़्म
उलझ कर रह गए हैं मुद्दइ'यान-ए-रुबूबिय्यत
ख़याल-ए-ख़ाम बिल-आख़िर ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
नज़्म
ख़ार-ओ-ख़स के झोंपड़े मिट्टी के बोसीदा मकाँ
जैसे अंधों के इशारे जैसे गूँगों की ज़बाँ
मयकश अकबराबादी
नज़्म
तेरी ख़िदमत पर जो बाँधेंगे कमर ऐ ख़ाक-ए-हिंद
होंगे वो तेरे लिए सिल्क-ए-गुहर ऐ ख़ाक-ए-हिंद
सफ़ीर काकोरवी
नज़्म
तुम यूँही ज़िद में हुए ख़ाक-ए-दर-ए-मय-ख़ाना
मुझ को ये ज़ोम कि मैं ने तुम्हें टोका कब था
शाज़ तमकनत
नज़्म
ऐ ख़ाक-ए-हिंद तेरी अज़्मत में क्या गुमाँ है
दरिया-ए-फ़ैज़-ए-क़ुदरत तेरे लिए रवाँ है